Jolly LLB 3
नीचे Jolly LLB 3 की समीक्षा सरल हिंदी में दी है:
कहानी, अच्छाइयाँ-खामियाँ, कलाकारों का प्रदर्शन और कुल मिलाकर कौन-किसे पसंद आ सकती है इसका विश्लेषण आप नीचे पढ़ सकते है...
परिचय
नाम: Jolly LLB 3
निर्देशक: सुभाष कपूर
मुख्य कलाकार: अक्षय कुमार, अरशद वारसी, सौरभ शुक्ला, अलावा हुमा कुरैशी, अमृता राव, गजराज राव, सीमा बिस्वास आदि
शैली: कोर्टरूम ड्रामा + कॉमेडी + सामाजिक संदेश
फिल्म का वक्त: करीब 157 मिनट
कहानी:
अहम बातें जो इस फिल्म में अच्छी लगती है:
1. लेखनी और विषय का चयन
फिल्म ने किसानों की स्थिति और ज़मीनी के अन्याय जैसे संवेदनशील मुद्दे को पर्दे पर पेश किया है। भ्रष्टाचार, ज़मीनी दांव-पेंच आदि को मज़ेदार अंदाज़ में और भावनात्मक गहराई के साथ दिखाया गया हैं।
2. कलाकारों का अभिनय
सौरभ शुक्ला ने न्यायाधीश सुंदर लाल त्रिपाठी की भूमिका में खासा असर छोड़ा है है - उनकी शैली, संवाद, भाव गांभीर्य सब में संतुलन हैं।
अक्षय कुमार और अरशद वारसी दोनों की कॉमेडी टाइमिंग अच्छी है, खासकर कोर्टरूम में उनकी बहस-झगड़े और संवाद।
सीमित लेकिन प्रभावशाली भूमिका वालों ने काम पूरा किया है - जैसे सीमा बिस्वास आदि।
3. ह्यूमर + सामाजिक संदेश का संतुलन
फिल्म सिर्फ न्याय की लड़ाई नहीं है; यह सामाजिक वास्तविकताओं से जोड़ती है - किसानों की पीड़ा, ज़मीन छीनने की करतूतें, न्याय की धीमी प्रक्रिया आदि। ह्यूमर है, हल्के-फुल्के पल हैं, लेकिन उनकी जगह और समय सही है, जिससे कहानी भारी नहीं लगती।
4. क्लाइमेक्स और फिल्म का फॉर्मेट
खामियाँ और कमियां
1. कहानी कुछ हद तक प्रतिवर्ती
जो लोग पिछले “Jolly LLB” फिल्मों को देख चुके हैं, उन्हें लगता है कि कई हिस्से परिचित हैं - वकील-विरोधी वकील, भ्रष्ट ज़मीन मालिक, न्याय की लंबी लड़ाई आदि। कुछ समीक्षा कहती हैं कि कहानी “बेसिक” हो गई है, किसी नया ट्विस्ट नहीं मिला।
2. बीच-बीच में गति धीमी लगती है
फिल्म का पहला भाग और कुछ कोर्टरूम संवाद थोड़े लंबे खिंचाव वाले महसूस होते हैं। बीच-बीच में कुछ ऐसे दृश्य जिसमें कहानी आगे बढ़ाने में देरी होती दिखाती है।
3. कुछ पात्रों का उपयोग कम किया है
हुमा कुरैशी और अमृता राव जैसे पात्रों को समय-समय पर दिखाया जाता है, पर इन्हें बहुत ज़्यादा स्क्रीन समय नहीं मिला; उनकी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं किया गया।
4. तुलना पिछले फिल्मों से
कई समीक्षकों ने बताया है कि पिछली फिल्में जैसे Jolly LLB 1 या 2 जितनी ताज़गी इस फिल्म में नहीं है। हास्य-तत्व और न्याय-संवाद वो ज़बरदस्त निखार पहले था, जो इस में थोड़ा कमजोर महसूस होता है।


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