शाहरुख खान: "मैं इतना बड़ा हूं कि 70 MM स्क्रीन भी छोटी लगती है" - माता-पिता के लिए फिल्म बनाने और जीवन के फलसफे पर बोले बादशाह
शाहरुख खान: "मैं इतना बड़ा हूं कि 70 MM स्क्रीन भी छोटी लगती है"
माता-पिता के लिए फिल्म बनाने और जीवन के फलसफे पर बोले बादशाह
मुंबई: बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान, जो अपनी बेबाकी और हाजिरजवाबी के लिए जाने जाते हैं, अक्सर अपने विचारों से प्रशंसकों को चौंका देते हैं। हाल ही में, उन्होंने फिल्मों, अपने काम और माता-पिता के साथ अपने गहरे रिश्ते पर कुछ बेहद व्यक्तिगत और मार्मिक बातें साझा की, जो अब सुर्खियां बटोर रही हैं।
शाहरुख खान ने कहा कि जब वह अभिनय करते हैं, तो उन्हें लगता है कि "70 एमएम भी मेरे लिए छोटा है, 3डी भी काफी नहीं है।" यह बयान उनकी कला के प्रति असीम जुनून और बड़े पर्दे पर अपनी उपस्थिति के जादू को दर्शाता है। उनका कहना है कि उन्हें लगता है कि वे इतने बड़े हैं कि कोई भी स्क्रीन उन्हें पूरी तरह से समेट नहीं सकती। यह उनकी आत्मविश्वास और अपनी कला पर उनकी पकड़ को दर्शाता है।
माता-पिता और फिल्मों से गहरा रिश्ता
शाहरुख ने हमेशा अपने माता-पिता के साथ अपने गहरे भावनात्मक जुड़ाव के बारे में बात की है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने माता-पिता के लिए फिल्में बनाना शुरू किया, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे स्वर्ग से उन्हें देख रहे हैं। यह एक बहुत ही भावुक बयान है जो दिखाता है कि उनके माता-पिता उनके लिए कितने महत्वपूर्ण हैं और उनका काम उनके प्रति एक श्रद्धांजलि है। उन्होंने बताया कि उनकी माँ हमेशा उनके पहले प्रीमियर में शामिल होना चाहती थीं, लेकिन अफ़सोस कि ऐसा हो न सका। इसलिए, वह अपनी हर फिल्म को उनके लिए एक प्रीमियर मानते हैं।
नुकसान और काम के प्रति उनका नज़रिया
जब नुकसान की बात आती है, तो शाहरुख खान का नज़रिया भी काफी अनूठा है। उन्होंने बताया कि वह नुकसान को बहुत सकारात्मक तरीके से देखते हैं। उनका मानना है कि जब कोई चीज खो जाती है, तो वह वास्तव में कभी खोती नहीं है, बल्कि वह किसी और रूप में वापस आती है। इस तरह, उनका मानना है कि जब उन्होंने अपने माता-पिता को खोया, तो उन्होंने उन्हें कभी खोया नहीं, बल्कि वे उनके अंदर बस गए। यह जीवन के प्रति उनकी गहरी समझ और मुश्किल समय में भी सकारात्मक रहने की उनकी क्षमता को दर्शाता है।
शाहरुख खान के ये बयान न केवल उनकी व्यक्तिगत भावनाएं प्रकट करते हैं, बल्कि एक कलाकार के रूप में उनकी प्रतिबद्धता और जीवन के प्रति उनके दार्शनिक दृष्टिकोण को भी दर्शाते हैं। वे बताते हैं कि कैसे उनके लिए सिनेमा सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि अपने माता-पिता के प्रति प्रेम और सम्मान व्यक्त करने का एक माध्यम भी है। उनका मानना है कि हर फिल्म उनके माता-पिता के लिए एक श्रद्धांजलि है, जो उन्हें ऊपर से देख रहे हैं।


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